बगीचे में शिमला मिर्च और मिर्च की खेती

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सब्जियां

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की संपादकीय टीम

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आजकल ज्यादातर लोग शौकिया तौर पर या अपने खान-पान की आदतों को नियंत्रित करने के लिए अपने बगीचे में फल और सब्जियां उगाना पसंद करते हैं। हालाँकि, अपने बगीचे में फल और सब्जियां उगाने के कुछ राज़ है, जिनके बारे में मैं आपको नीचे बताने वाला हूँ।

मिर्च एक उष्णकटिबंधीय पौधा है जिसे गर्मी बहुत पसंद है। इसे पनपने के लिए 18 °C से 26 °C (64 °F से 79 °F) तक के तापमान और बहुत अधिक धूप (दिन में 6-8 घंटे) की आवश्यकता होती है। ये पाला सहन नहीं कर सकता और दिन का तापमान 18 °C (64 °F) से नीचे जाने पर इसमें समस्याएं शुरू हो सकती हैं। 15 °C (59 °F) से कम तापमान पर, पौधे की विकास दर कम हो जाती है और 10 °C (50 °F) के करीब तापमान पर इसका विकास पूरी तरह रुक जाता है। 6 °C (43 °F) से कम तापमान पर, पौधे से फूल गिरने लगते हैं। 35 °C (95 °F) से ऊपर के तापमान पर भी यही परिणाम देखे जाते हैं।

चुनाव करने के लिए मिर्च की सैकड़ों किस्में मौजूद हैं। उनका स्वाद बहुत ज्यादा तीखा से मीठा तक हो सकता है, और उनका आकार अंडाकार, केले के आकार, चेरी आदि जैसा अलग-अलग हो सकता है।

अगर आप बीज से मिर्च उगाने की सोच रहे हैं तो आपको सावधानी बरतने की ज़रूरत पड़ेगी। बीज छूते समय हमेशा अच्छे दस्ताने पहनना न भूलें। तीखी किस्म वाले मिर्च के बीज आपकी त्वचा और आँखों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा, अपने बीज हमेशा वैध विक्रेता से ही खरीदें। नहीं तो, अंकुरण की दर कम हो सकती है और इससे आपका समय भी बर्बाद होगा। इस बात का ध्यान रखें कि मिर्च के बीज ठण्ड सहन नहीं कर सकते। मिट्टी का तापमान 20-28 °C (68 – 82 °F) रखते हुए, आप उन्हें आंतरिक रूप से बीज की क्यारियों में लगा सकते हैं। उचित वायु संचार के लिए निचली परत के रूप में पीट का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। 10-12 °C (50 – 54 °F) से कम के तापमान पर अंकुरण खराब हो जायेगा। अंकुरित होने तक बीजों को नम रखना न भूलें। 8-12 दिन बाद बीज अंकुरित हो जायेंगे और बीज बोने से लेकर रोपाई तक का समय 40-60 दिन होता है, लेकिन ये सीमाएं काफी अलग भी सकती हैं।

इसके अलावा, अगर आप बीजों में अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहते तो आप किसी वैध विक्रेता से सीधे मिर्च के पौधे भी खरीद सकते हैं और उन्हें सीधे सही जगह पर लगा सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि 18 °C (64 °F) से कम के तापमान पर मिर्च के पौधों की रोपाई शायद सफल नहीं होगी।

मिट्टी से होने वाली बीमारियों से बचने के लिए इस बात का ध्यान रखें कि आप अपने टमाटर के बीज उन स्थानों पर न लगाएं जहाँ आपने पहले कोई दूसरा सोलेनेसी (टमाटर, आलू, मिर्च, बैंगन) पौधा लगाया था।

मिर्च उगाते समय मिट्टी तैयार करना बहुत ज़रूरी है। मिट्टी बहुत भुरभुरी होनी चाहिए और इसमें खाद मिली होनी चाहिए, ताकि छोटे पौधों के संवेदनशील जड़ों के लिए यह उचित हो और सभी पोषक तत्व प्रदान कर पाए। आप अपनी मिट्टी के मिश्रण में कम्पोस्ट या बालू भी मिला सकते हैं। आपके मिट्टी के पीएच को सुधार की ज़रूरत हो सकती है। उचित पीएच 6 और 6.8 के बीच होता है। इसके अलावा, कई बागवान पौधे को उचित मात्रा में कैल्शियम देने के लिए मिट्टी में अंडे का छिलका भी मिलाते हैं।

सीधी रेखा में प्लास्टिक का आवरण बिछाना भी एक महत्वपूर्ण चरण है (खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ रोपाई के मौसम में मिट्टी का तापमान कम होता है)। कई उत्पादक पंक्तियों को काले प्लास्टिक से ढँक देते हैं। वो जड़ वाले क्षेत्र का तापमान उचित स्तर (21 °C या 70 °F से ऊपर) पर बनाये रखने के लिए, साथ ही घासफूस उगने से बचने से लिए इस तकनीक का इस्तेमाल करते हैं।

पौधों को एक-दूसरे के बहुत ज्यादा पास-पास न लगाएं। उचित दूरी से वायु संचार अच्छा होता है और पौधों तक धूप अच्छे से पहुंच पाती है जिससे कई बीमारियों का खतरा कम होता है। बगीचे में मिर्च लगाने वाले ज्यादातर लोग एक पंक्ति में प्रत्येक पौधे के बीच 50 सेमी (20 इंच) की दूरी रखते हैं। वे पंक्तियों के बीच भी कम से कम 80-100 सेमी (30-39 इंच) की दूरी रखते हैं।

रोपाई के समय, मिट्टी के गोले को मिट्टी की सतह से थोड़ा ज्यादा गहराई में लगाया जाता है, जिससे पौधा शुरुआत से ही ज्यादा गहरी जड़ प्रणाली बनाने में समर्थ होगा। इसके तुरंत बाद, हम मिट्टी को हल्के हाथों से दबाकर, सिंचाई कर देते हैं।

मिर्च की खेती की बात आने पर कभी-कभी छंटाई ज़रूरी हो जाती है। लेकिन, मिर्च की सभी किस्मों को छंटाई की ज़रूरत नहीं होती। संक्षेप में, जहाँ तक छंटाई की बात है, शौकिया किसान पौधे के विकास के शुरुआती चरणों के लिए प्रत्येक पौधे पर 2-4 टहनियां रखते हैं, ताकि उचित आकार बना रहे। बाद में, उन दो टहनियों में से एक हटा देते हैं। आमतौर पर, छंटाई से उचित वायु संचार में मदद मिलती है और साथ ही इससे पौधे को नमी से होने वाले संक्रमणों से बचाया जा सकता है। इसके अलावा, हम फल और पत्ती के अनुपात को नियंत्रित कर सकते हैं।

ज्यादातर मामलों में, छांटे गए पौधों को सहारा देना पड़ता है। इसके लिए, आप प्रत्येक पौधे के पास एक प्लास्टिक या बांस की छड़ी रखकर पौधे को इससे हल्का बाँध सकते हैं। इससे पौधे के तने को सीधा खड़ा रहने में मदद मिलती है। साथ ही, तने की पत्तियां और फल मिट्टी से स्पर्श होने से बचते हैं। जिससे पौधा मिट्टी के कीड़ों और बीमारियों से बचा रहता है। इसके अलावा, सहारा देने से उत्पादक को मिर्च की कटाई में आसानी होती है और यह पौधे का वायु संचार और सम्पूर्ण स्वास्थ्य बेहतर बनाता है।

अगर आप अच्छे आकार के मिर्च पाना चाहते हैं तो सिंचाई बहुत ज़रूरी है। याद रखें, हर 100 ग्राम के औसत मिर्च में लगभग 90 ग्राम पानी होता है। सामान्य तौर पर, रोपाई के बाद लगभग 15 दिन तक, कुछ किसान पौधे को बेहतर और बड़ी जड़ प्रणाली विकसित करने में मदद करने के लिए सावधानी बरतते हैं और बहुत कम मात्रा में पानी देते हैं। मिर्च के मौसम के दौरान, पौधे में पहली बार फूल आता है तो किसान पिछले चरण के मुकाबले दोगुना पानी देते हैं। इसके बाद, फल भरने के चरण में, पानी की मात्रा अधिकतम स्तर तक पहुंच जाती है। अंत में, जब फल पकना शुरू होता है तब पानी की आपूर्ति कम होती है और कटाई से थोड़ा पहले धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है।

बगीचे में, औसत मिट्टी में उगाये जाने वाले औसत मिर्च के पौधे में कम्पोस्ट डालने से निश्चित रूप से फायदा होगा। कम्पोस्टिंग पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया है जो बगीचे में उगाये जाने वाले पौधों के पोषण में बहुत अच्छे परिणाम देती है, साथ ही इससे काफी बचत भी होती है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से पत्तियों, शाखाओं, छिलकों और खाने के अन्य अवशेषों (जैसे, अंडे के छिलके) जैसे जैविक अवशेषों, जो हमारी रसोई में मौजूद हो सकते हैं, को विभिन्न प्रक्रियाओं के माध्यम से और मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवों की मदद से कम्पोस्ट नामक पोषक तत्वों से भरपूर पदार्थ में बदला जाता है। कम्पोस्ट के उचित प्रयोग से मिट्टी का क्षय रोका जाता है। साथ ही, मिट्टी के रोगाणु भी नियंत्रित किये जाते हैं। हालाँकि हमें सावधान रहने की ज़रूरत होती है, क्योंकि कम्पोस्ट बनाने के लिए घर से निकलने वाले सभी खाने के अवशेष सही नहीं होते। इसकी प्रक्रिया काफी सरल है। आपको बस एक कम्पोस्ट बिन या साइलो, श्रेडर, मिट्टी और जैविक कचरे की ज़रूरत होती है। श्रेडर बहुत ज़रूरी है क्योंकि यह इस प्रक्रिया को तेज कर देता है, और कम्पोस्टिंग बिन में डाली जाने वाली चीजें छोटी होनी चाहिए।

रोपाई के 55-90 दिन बाद मिर्च कटाई के लिए तैयार होता है। कटाई के दौरान, कैंची का प्रयोग करना और फल के लगभग 5 सेमी (2 इंच) ऊपर से काटना सबसे अच्छा होता है। मिर्च खींचकर तोड़ने से पौधे और फल को नुकसान हो सकता है। आप सप्ताह में 2-3 बार स्वस्थ, अच्छे  आकार वाले मिर्च काट सकते हैं। औसतन, एक स्वस्थ मिर्च के पौधे में 4 से 8 बड़े आकार का मिर्च आता है, लेकिन छोटे फलों की किस्मों में, एक पौधे में 100 मिर्चें भी आ सकती हैं।

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