संतरे के पेड़ कीड़ों (मुख्य रूप से एफिड्स) और फंगल, बैक्टीरियल और वायरस रोगों से बहुत प्रभावित हो सकते हैं।
एफिड्स (मुख्य रूप से एफिस स्पाइराकोला) छोटी मक्खियाँ होती हैं जो पत्तियों के निचले हिस्से से अपना पेट भरती हैं, जिसके कारण अक्सर सिट्रस के पत्ते मुड़ जाते हैं। यह अपने आपमें कोई बड़ी क्षति नहीं है, क्योंकि आमतौर पर सिट्रस के पत्ते मुड़ने के कारण इसकी फसल पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता। लेकिन एफिड्स ट्रिस्टेजा वायरस भी प्रसारित कर सकते हैं। एफिड्स मुख्य रूप से नरम पत्तियों वाले छोटे पेड़ों को प्रभावित करते हैं, और पेड़ बड़ा होने पर और पत्तियां कड़ी होने पर उनकी संख्या तेजी से कम होती है।
सिट्रस के प्रमुख बैक्टीरियल रोग
1.) स्यूडोमोनास सिरिंज (ब्लास्ट): यह पत्तियों, डंठलों और फलों को प्रभावित करता है। डंठल पर काले धब्बे दिखाई देने लगते हैं और वो तेजी से फैलते हैं। एक सामान्य लक्षण यह है कि पत्तियां मुड़ जाती हैं या काली होकर गिर जाती हैं, जबकि फल पर भी काले धब्बे दिखाई दे सकते हैं। किसी लाइसेंस प्राप्त कृषि विज्ञानी से परामर्श करने के बाद, अक्सर किसान कॉपर फंगीसाइड का प्रयोग करते हैं।
2.) ज़ैंथोमोनस साइट्री: इसकी वजह से फल पर घाव जैसे निशान पड़ जाते हैं। पत्तियों और फलों पर दिखाई देने वाले धब्बे इसके सबसे सामान्य लक्षण हैं। संक्रमित पेड़ की पत्तियां झड़ने लगती हैं और फल समय से पहले ही गिर जाते हैं। यह रोगाणु नयी पत्तियों, कोमल डंठलों और छोटे फल को प्रभावित करता है। दुर्भाग्य से, बारिश के पानी के कारण यह बीमारी संक्रमित क्षेत्रों से गैर-संक्रमित क्षेत्रों में तेजी से फैल जाती है, और जिसकी वजह से पत्तियां और फल समय से पहले गिरने लगते हैं।
सिट्रस के प्रमुख फंगल रोग
1.) थिएलावोप्सिस बेसिकोला: इसकी वजह से जड़ काली होकर सड़ जाती है। जड़ों पर काले धब्बे दिखाई देते हैं, जो अंत में पूरे काले हो सकते हैं।
2.) पेनिसिलियम डिजिटम: इसकी वजह से ग्रीन रॉट या मोल्ड हो जाता है। फल सड़कर सिकुड़ जाते हैं और अंत में गिर जाते हैं।
3.) डायपोरदे सिट्री: इसकी वजह से मेलानोज हो जाता है। पत्तियों, नए तनों और फलों पर छोटे काले धब्बे पड़ जाते हैं। इसके कारण पत्तियां समय से पहले गिर जाती हैं और फल सड़ जाते हैं।
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