पालक की खेती कैसे की जाती है
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अधिक अनुवाद दिखाएं कम अनुवाद दिखाएंपालक कैसे उगाएं – बीज बोने से लेकर फसल की कटाई तक
व्यावसायिक रूप से पालक की खेती के लिए मार्गदर्शक
कुछ शब्दों में कहा जाए तो व्यावसायिक रूप से पालक की खेती करने वाले लगभग सभी किसान, पतझड़ या वसंत के दौरान सीधे खेत में पालक के बीज (ज्यादातर संकर) बोते हैं। इसके बाद विशेष रूप से, प्रसंस्करण बाजार के लिए पालक उगाते समय, ज्यादातर व्यावसायिक किसान पौधों को कम कर देते हैं (वे कुछ पौधों को खेत से हटा देते हैं, ताकि कम पौधे बचे रहें और बेहतर वायु संचार हो सके)। ज्यादातर मामलों में खाद, स्प्रिंकलर सिंचाई और कीट प्रबंधन का प्रयोग किया जाता है। कटाई का समय इस बात पर निर्भर करता है कि हम पालक को ताज़े बाजार के लिए उगा रहे हैं या प्रसंस्करण बाजार के लिए। कई मामलों में, ताज़ा बाजार के लिए उगाये जाने वाले पालक के पौधों को बीज लगाने के लगभग 40-55 दिनों में ही एक बार में काट दिया जाता है (पूरा पौधा नष्ट हो जाता है)। इसके विपरीत, प्रसंस्करण बाजार के लिए उगाये जाने वाले पालक के पत्तों को बीजारोपण के लगभग 60-80 दिनों में काटा जाता है। कई मामलों में, पहली बार कटाई करने के बाद दोनों ताज़ा और संसाधित पौधों (लेकिन ज्यादातर प्रसंस्करण बाजार वाले पौधों को) को दोबारा बढ़ने के लिए छोड़ दिया जाता है ताकि किसान दूसरी बार फसल की कटाई कर सकें।
पालक की मिट्टी संबंधी आवश्यकताएं
पालक औसत मिट्टी में अच्छी तरह से उग सकता है, लेकिन जैविक पदार्थों से भरपूर मिट्टी में यह ज्यादा अच्छे से विकसित होगा। आमतौर पर, पालक उगाते समय मिट्टी का प्रकार और पीएच शायद ही कभी प्रतिबंधी कारक बनते हैं। हालाँकि, कई किसानों ने बताया है कि 6,5 से 6,8 पीएच वाली रेतीली दोमट मिट्टी में पालक ज्यादा अच्छी तरह से विकसित होता है। फॉस्फोरस की गंभीर कमियों के मामले में, किसान बीज बोने से कुछ दिन पहले प्रति हेक्टेयर 50 किग्रा की दर से P2O5 डाल सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि हर खेत और इसकी जरूरतें अलग होती हैं। पौधे लगाने से पहले किसानों को मिट्टी का विश्लेषण कर लेना चाहिए। खेत तैयार करने के लिए तार्किक योजना बनाने के लिए वो किसी स्थानीय लाइसेंस प्राप्त कृषि विज्ञानी से भी सलाह ले सकते हैं। नाइट्रोजन का स्तर सुधारने के लिए, कुछ किसान बीज लगाने से पहले अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद भी डालते हैं और खेत की जुताई करते हैं। हालाँकि, इस बात का ध्यान रखें कि ये केवल कुछ सामान्य पैटर्न हैं जिनका आपको अपना खुद का शोध किये बिना पालन नहीं करना चाहिए।
पालक की पानी संबंधी जरूरतें
पालक के पौधे की जड़ें बहुत ज्यादा नीचे तक नहीं जाती हैं। इसीलिए, अच्छी उपज पाने के लिए, इस पौधे को कम मात्रा में ज्यादा बार सिंचाई पसंद होती है। एक सामान्य नियम के अनुसार, इसे उगाने की अवधि के दौरान किसानों को मिट्टी को नम रखने पर फोकस करना चाहिए। अनुभवी किसानों का दावा है कि मिट्टी को हमेशा नम रखने से पौधे को दो तरीके से मदद मिलती है। पहला, पौधा आवश्यक पानी सोखने में समर्थ होगा। दूसरा, इससे मिट्टी का तापमान कम रहेगा, और जिससे ज्यादा अच्छी पालक की उपज होगी।
ज्यादा गर्म मौसम में पालक बीज देना शुरू कर देता है। ऐसी स्थिति में, पौधे आनुवंशिक रूप से अपने संसाधनों को पत्तियों के विकास के बजाय बीज के उत्पादन में लगाने के लिए बने होते हैं। इसलिए, इस उत्पाद को नहीं बेचा जा सकता है। ज्यादातर मामलों में, पहले दो सप्ताह के दौरान, प्रति सप्ताह तीन से चार सिंचाई सत्र हो सकते हैं। किसानों को सुबह जल्दी या दोपहर में देर से सिंचाई करने का सुझाव दिया जाता है। इससे सूरज की गर्मी से होने वाले पानी के वाष्पीकरण को रोका जा सकता है।
दुनिया के आधे से ज्यादा पालक उत्पादन को स्प्रिंकलर के माध्यम से सिंचा जाता है। हालाँकि, कुछ मामलों में, ज्यादा स्प्रिंकलर सिंचाई से पत्तियों पर धब्बों का रोग उत्पन्न हो सकता है।
पालक लगाना; स्वस्थ और हरे-भरे पालक कैसे उगाएं
जैसा कि पहले ही बताया गया है, आमतौर पर, पालक को ठंडे मौसम की जरूरत होती है, इसलिए ज्यादातर किसान इसे वसंत ऋतु की शुरुआत में या पतझड़ के अंत में लगाना शुरू करते हैं। कई किसान वसंत के आखिरी पाले से लगभग छह सप्ताह पहले पालक के बीज लगाना पसंद करते हैं। ठंडे वसंत वाले क्षेत्रों में, वसंत ऋतु के अंत समय तक (मध्य मई), हर दस दिन पर बीज बोये जा सकते हैं। पालक को गर्म जलवायु में बोते समय, हम उन्हें गेहूं, बीन्स या मकई जैसी लंबी फसलों की छाया में भी बो सकते हैं।
अपनी किस्म के आधार पर, पालक 50-70 °F डिग्री (10-21 °C) के बीच के तापमान में उगाया सकता है। जब हम पालक को वसंत या पतझड़ में लगाने का फैसला करते हैं, तो हल्की छाया और अच्छी जल निकासी वाली धूपदार जगह पर पालक लगाना सही होता है। सर्दियों के दौरान, हम अपने पौधों को कोल्ड फ्रेम से बचा सकते हैं या उन्हें घास से ढक सकते हैं। किसान अक्सर तापमान 40 °F डिग्री (5 °C) पर पहुंचने के बाद ही इन सुरक्षा उपायों को हटाते हैं।
ज्यादातर मामलों में, पालक सीधे खेत में बोया जाता है। किसान सीधे जमीन पर पंक्तियों में पालक के बीज (ज्यादातर संकर) लगा सकते हैं या उन्हें खेत में फैला सकते हैं। पौधों को बढ़ने के लिए बीच में पर्याप्त जगह की आवश्यकता होती है। सीधे बीज बोने पर, हम 1-1,18 इंच (2,5-3 सेमी) की गहराई में पंक्तियों में बीज लगाते हैं। निरंतर उत्पादन के लिए, हम हर 10-15 दिनों में बीज बो सकते हैं।
अच्छा विकास पाने के लिए और अपनी पैदावार बढ़ाने के लिए, किसान निम्नलिखित कारकों को ध्यान में रख सकते हैं।
- बीजारोपण की दर: प्रति हेक्टेयर 40 से 60 पाउंड (20 से 30 किग्रा) बीज।
- बीजों का अंकुरण 41-68 °F (5 से 20 °C) तापमान में बेहतर होगा।
- पालक के बीजों को हल्की मिट्टी से ढंकते हुए ½ से 1 इंच (1 से 2,5 सेमी) की गहराई में लगाने की आवश्यकता होती है।
- पौधों के बीच दूरी: पंक्तियों के बीच 7-11 इंच (20-30 सेमी) दूरी और पंक्ति में पौधों के बीच 3-6 इंच (7-15 सेमी) की दूरी होनी चाहिए।
- पालक के बीज बोने के तुरंत बाद किसान खेत की सिंचाई कर देते हैं।
- पालक के साथ अक्सर कोई दूसरा पौधा भी लगाया जाता है। किसान पालक के पौधों की पंक्तियों के बीच दूसरे पौधे लगा सकते हैं। जिसके लिए अक्सर गोभी, प्याज और सेलरी का प्रयोग किया जाता है।
- पौधों में पत्ती की बेहतरीन सतह को प्रोत्साहित करने के लिए, पौधों को पतला किया जाता है। प्रसंस्करण बाजार के लिए पालक उगाते समय, यह सबसे सामान्य तौर पर प्रयोग की जाने वाली तकनीक है।
- पालक की फसल में नियमित लेकिन ज्यादा पानी न देने से मिट्टी नम बनी रहती है।
- जंगली घास के प्रबंधन को अनदेखा नहीं किया जा सकता। जंगली घास न केवल पालक को मिलने वाले पोषक तत्वों और सूरज की रोशनी के लिए उनके साथ मुकाबला करते हैं, बल्कि उनके बीच उचित वायु संचार भी रोकती है, जिससे पौधों को बीमारी लगने की ज्यादा संभावना होती है।
- किसान स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता वाले पालक उगाने के लिए उचित योजना बनाने के लिए स्थानीय पेशेवरों (लाइसेंस प्राप्त कृषि विशेषज्ञों) से सलाह ले सकते हैं।
पालक की फसलों में पोषक तत्वों का प्रबंधन
पालक औसत मिट्टी में भी पत्तियां उगा सकता है, लेकिन पोषक-तत्वों से भरपूर मिट्टी में यह ज्यादा फलता-फूलता है। कई अनुभवी किसान बीज बोने से कुछ दिन पहले मिट्टी में कम्पोस्ट और फॉस्फोरस की खाद का मिश्रण डालते हैं। फॉस्फोरस की गंभीर कमियों के मामले में, किसान बीज बोने से कुछ दिन पहले प्रति हेक्टेयर 50 किलोग्राम की दर से P2O5 डाल सकते हैं (लाइसेंसधारी कृषि विज्ञानी से पूछें)। ध्यान रखें कि 1 हेक्टेयर = 2,47 एकड़ = 10.000 वर्ग मीटर होता है।
बहुत सारे किसान फर्टिगेशन का उपयोग करते हैं, अर्थात, वो सिंचाई प्रणाली में पानी में घुलनशील उर्वरकों का समावेश कर देते हैं। इस तरह, वो पैदावार को बढ़ावा दे सकते हैं और पौधों में एक साथ खाद और पानी देकर समय भी बचा सकते हैं। कोई भी फर्टिगेशन विधि प्रयोग करने से पहले निर्माता के निर्देशों का पालन करने का सुझाव दिया जाता है।
पालक एक पत्तेदार सब्जी है और हम इसकी पत्तियों को इकट्ठा करने के लिए इसे उगाते हैं। इसके परिणामस्वरूप, ज्यादातर मामलों में, किसान पत्ती की कुल सतह को बढ़ाने के लिए पौधे की वृद्धि के विभिन्न चरणों के दौरान नाइट्रोजन और फॉस्फोरस डाल सकते हैं। पालक के प्रकार (सेवॉय बनाम चिकना) के आधार पर, पालक को प्रति हेक्टेयर 70-80 किलोग्राम नाइट्रोजन की जरूरत होती है। कई किसान 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से अमोनियम नाइट्रेट (एन-पी-के-20-0-0) भी डालते हैं (अपने स्थानीय लाइसेंस प्राप्त कृषि विज्ञानी से पूछें)।
जैविक खेती के मामले में, हम नाइट्रोजन से भरपूर जैविक उर्वरक का प्रयोग कर सकते हैं। पालक के पौधे बढ़ने के दौरान, जैविक उर्वरक एक या दो बार डाले जा सकते हैं। हम अन्य स्रोतों (जैसे मछली पायसन आदि) के साथ मिश्रित कम्पोस्ट खाद का भी उपयोग कर सकते हैं। ज्यादातर मामलों में, जैविक खाद गर्मी के महीनों के दौरान जंगली घास पर नियंत्रण और मिट्टी की नमी के संरक्षण में मदद करती है। इस बात का ध्यान रखना जरूरी किसी भी प्रकार का खाद छोटे पौधों के संपर्क में न आये, नहीं तो, हमें समस्या हो सकती है। खाद डालने के बाद, फसलों की सिंचाई करने का सुझाव दिया जाता है।
कृपया इस बात का ध्यान रखें कि ये सिर्फ कुछ सामान्य उर्वरीकरण विधियां हैं जिनका पालन अपना स्वयं का शोध किये बिना नहीं किया जाना चाहिए। हर खेत अलग है और इसकी अलग-अलग जरूरतें हैं। कोई भी खाद डालने से पहले मिट्टी का विश्लेषण करना और अपना फसल इतिहास जानना बेहद आवश्यक है। आप किसी लाइसेंस प्राप्त कृषि विज्ञानी से सलाह ले सकते हैं।
कीड़े और बीमारियां
दुर्भाग्य से, पालक के पौधों में अक्सर कीड़े और बीमारियां लग जाती हैं। पर्यावरण के अनुकूल समाधान निकालकर उनका सामना करने के लिए हमारे लिए अपने स्थानीय फसल के दुश्मनों को जानना जरूरी है। कार्रवाई करने से पहले, किसान पालक के कीड़ों और बीमारियों के उचित नियंत्रण के लिए स्थानीय लाइसेंस प्राप्त पेशेवर से परामर्श ले सकते हैं।
कीड़े
- एफिड्स; एफिड आमतौर पर पालक के पौधों का सबसे आम दुश्मन होता है। वयस्क और निम्फ पौधे के जूस पर ज़िंदा रहते हैं। परिणामस्वरूप, हमें ऐसे उत्पाद मिलते हैं जिन्हें बाजार में नहीं बेचा जा सकता है।
- लीफ माइनर; वे ज्यादातर पत्तियां खाते हैं।
- स्लग और घोंघे; ये दोनों अक्सर गीली मिट्टी से निकलते हैं और पत्तियों पर हमला करते हैं। उनका ठीक से सामना न करने पर वो पूरा पौधा भी खा सकते हैं।
बीमारियां
- मोज़ेक वायरस; यह वायरस लगभग 150 विभिन्न प्रकार की सब्जियों और पौधों को संक्रमित कर सकता है। हम पत्तियों के उतरे हुए रंग को देखकर इसकी पहचान कर सकते हैं। संक्रमित पत्तियों में पीले और सफेद धब्बे होते हैं। पौधों का आकार बढ़ना बंद हो जाता है और वे धीरे-धीरे मर जाते हैं।
- कोमल फफूंदी; यह बीमारी पेरोनोस्पोरा फेरिनोसा रोगाणु के कारण होती है। हम पत्तियों को देखकर इसकी पहचान कर सकते हैं। वे अक्सर मुड़ी हुई होती हैं और उसमें फफूंदी और काले धब्बे लगे होते हैं।
- स्पिनच ब्लाइट; यह वायरस पत्तियों को प्रभावित करता है। संक्रमित पत्तियां बढ़ना बंद कर देती हैं और उनका रंग पीलापन लिए हुए भूरे रंग का होने लगता है।
कीड़े और बीमारी पर नियंत्रण
कार्यवाही करने के बजाय रोकथाम करना कीड़ों और बीमारियों को नियंत्रित करने का सबसे अच्छा तरीका होता है। पालक के किसानों को निम्नलिखित उपायों को ध्यान में रखना चाहिए:
- प्रमाणित बीजों के उपयोग का सुझाव दिया जाता है। ज्यादातर मामलों में, किसान संकर किस्मों का चयन करते हैं जिनमें बोल्टिंग और कोमल फफूंदी के लिए प्रतिरोधक क्षमता होती है।
- बीजों का कम अंकुरण या अनुपयुक्त अंकुरण दर कीड़ों और रोगों के नकारात्मक प्रभावों को तेज करेगा।
- अपर्याप्त उर्वरीकरण और/या सिंचाई से नकारात्मक प्रभावों को गति मिलेगी।
- स्थानीय लाइसेंसधारी कृषि विज्ञानी से सलाह लेने के बाद ही रासायनिक नियंत्रण के उपायों की अनुमति दी जाती है।
- कुछ बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए फसल चक्र का प्रयोग किया जा सकता है।
पालक की कटाई
कटाई का समय इस बात पर निर्भर करता है कि हम पालक ताज़े बाजार के लिए उगा रहे हैं या प्रसंस्करण बाजार के लिए। ज्यादातर मामलों में, ताज़ा बाजार के लिए उगाये जाने वाले पालक के पौधों को बीज लगाने के लगभग 38-55 दिनों में ही एक बार में काट दिया जाता है (पूरा पौधा नष्ट हो जाता है)। इसके विपरीत, प्रसंस्करण बाजार के लिए उगाये जाने वाले पालक के पत्तों को बीजारोपण के लगभग 60-80 दिनों में काटा जाता है। कई मामलों में, पहली बार कटाई करने के बाद दोनों ताज़ा और प्रसंस्करण पौधों (लेकिन ज्यादातर प्रसंस्करण पौधों को) को दोबारा बढ़ने के लिए छोड़ दिया जाता है ताकि किसान दूसरी बार फसल की कटाई कर सकें।
विकसित देशों में, पालक को ज्यादातर ट्रैक्टर से जुड़ी हुई मशीनों से काटा जाता है। ये मशीनें या तो पूरे पौधे को इकट्ठा करती हैं और इसे नष्ट कर देती हैं (एक बार में काटकर) या पौधों को दोबारा उगने देने के लिए और दूसरी बार कटाई करने के लिए पत्तियों को पूर्वनिर्धारित ऊंचाई पर काटती हैं। पालक इकट्ठा करने के बाद, मिट्टी, धूल और पत्थरों सहित पालक की पत्तियां जालियों से गुजरती हैं, जहां पालक को बाहरी सामग्रियों से अलग किया जाता है और एकत्र किया जाता है।
विकासशील देशों में, पालक को कैंची से भी काटा जा सकता है। किसान या तो पूरा पौधा काट सकते हैं (और इस तरह इसे नष्ट कर देते हैं) या कुछ हफ्ते बाद दोबारा कटाई करने के लिए पौधों को बढ़ने देने के लिए इसके एक हिस्से को काटते हैं। कई अनुभवी किसानों के अनुसार, सुबह-सुबह पौधों की कटाई करना बेहतर होता है। इस तरह, हम पौधों को धूप लगने से बचा सकते हैं।
पालक के पत्ते आमतौर पर कटाई के तुरंत बाद बाजार में उपलब्ध हो जाते हैं, और उत्पाद को ताज़ा, फ्रोजेन, डिब्बाबंद या सूखा प्रदान किया जा सकता है। ताज़ा पालक 7-10 दिनों तक रेफ्रिजरेटर में रखा जा सकता है। पालक के बड़े व्यावसायिक खेतों में, उत्पाद खराब होने से बचाने के लिए, किसान तुरंत कटे हुए पालक के पत्तों को ठंडा करते हैं।
प्रति हेक्टेयर पालक की उपज
पालक की औसत उपज प्रति हेक्टेयर 20-30 टन होती है। जाहिर तौर पर, अनुभवी किसान कई सालों के अभ्यास के बाद ऐसी बड़ी फसल पा सकते हैं। एक ही फसल की कई बार कटाई करने पर, हम 2 – 3 कटाई सत्रों से हर सत्र में प्रति हेक्टेयर 10-15 टन पालक पा सकते हैं।
ध्यान रखें कि 1 टन = 1000 किलो = 2200 पाउंड और 1 हेक्टेयर = 2,47 एकड़ = 10.000 वर्ग मीटर।
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