अपने बगीचे में आसानी से टमाटर कैसे उगाएं

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सब्जियां

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की संपादकीय टीम

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टमाटर उगाने के तरीके

ज्यादातर लोग अपने बगीचे में अपनी खुद की फल-सब्जियां उगाना पसंद करते हैं, क्योंकि या तो उन्हें तनाव दूर करने वाली इस प्रक्रिया में मज़ा आता है या वो अपनी खाने-पीने की चीजों को नियंत्रित करना चाहते हैं। हालाँकि, अपने बगीचे में फल और सब्जियां उगाने के कुछ राज़ है, जिनके बारे में मैं आपको नीचे बताऊंगा।

अपने बगीचे में टमाटर उगाने के तरीके:  

टमाटर गर्मियों का पौधा है। इसे पनपने के लिए 18 °C से 26 °C (64.4-78.8 ℉) तापमान और बहुत अधिक धूप (दिन में कम से कम 6 घंटे) की ज़रूरत होती है। टमाटर के पौधे बहुत कम समय के लिए सूखे बिना 1 °C (33.8 ℉) के करीब तापमान सहन कर सकते हैं। जाहिर तौर पर, अगर तापमान कई दिनों तक 17 °C (63 ℉) से नीचे रहता है तो हमें फल लगने में समस्या दिखाई देनी शुरू हो जाएगी। अगर टमाटर पकने के चरण में ऐसा तापमान होता है तो फल लाल नहीं हो पाएंगे, क्योंकि आमतौर पर टमाटर को लाल रंग देने वाले पदार्थ 16 °C (60.8 ℉) से कम तापमान पर उत्पन्न होना बंद हो जाते हैं। 9 °C (48.2 ℉) से कम के तापमान पर इसका विकास पूरी तरह से रुक जाता है। मिट्टी का तापमान 14 °C (57.2 ℉) से कम होने पर जड़ों के विकास में समस्या होने लगती है। बहुत ज्यादा तापमानों पर भी फल लगने और पकने में समस्याएं आने लगती हैं।

अगर आप बीज से टमाटर उगाने के बारे में सोच रहे हैं तो किसी वैध विक्रेता से प्रमाणित बीज खरीदने पर विचार करें। नहीं तो, अंकुरण की दर कम हो सकती है, और आपका समय भी बर्बाद होगा। इस बात को ध्यान में रखें की टमाटर के बीज ज्यादा ठण्ड सहन नहीं कर पाते। इसलिए, आपको मिट्टी का तापमान 23-26 °C (73.4-78.8 ℉) रखते हुए, पहले ही बीज की क्यारियां बनाने की सलाह दी जाती है। अच्छे वायु संचार के लिए परत के रूप में आप टर्फ का इस्तेमाल कर सकते हैं। 10-12 °C (50-53.6 ℉) से कम के तापमान पर अंकुरण रुक सकता है। बीज अंकुरित होने तक मिट्टी नम होनी चाहिए, लेकिन बिल्कुल भीगी हुई नहीं होनी चाहिए। बीज बोने के 4-7 हफ्ते बाद पौधों को उनकी सही जगह पर लगा देना चाहिए, इस समय तक इसमें 4-6 वास्तविक पत्तियां आ जाएँगी।

अगर आप बीज से पौधा शुरू करने पर अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहते तो आप नर्सरी से छोटा पौधा खरीदकर उसे सीधे अंतिम स्थान पर लगा सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि 15 °C (59 ℉) से कम के तापमान पर टमाटर का पौधा लगाना सफल नहीं हो सकता है।

मिट्टी से होने वाली बीमारियों से बचने के लिए इस बात का ध्यान रखें कि आप अपने टमाटर के बीज उन स्थानों पर न लगाएं जहाँ आपने पहले कोई दूसरा सोलेनेसी (टमाटर, आलू, मिर्च, बैंगन) पौधा लगाया था। ज्यादातर मामलों में वसंत का समय पौधा लगाने के लिए सही होता है। हालाँकि, जिन क्षेत्रों में तापमान थोड़ा ज्यादा होता है, वहां थोड़ा पहले से भी पौधा लगाना शुरू किया जा सकता है। दूसरी तरफ, उत्तरी क्षेत्रों में, उत्पादक आमतौर पर गर्मियों की शुरुआत में या उसके बाद टमाटर लगाना शुरू करते हैं। देर से उगाई जाने वाली किस्में भी होती हैं, जिन्हें बहुत देर में लगाया जाता है और पतझड़ के अंत से लेकर सर्दियों की शुरुआत (नवंबर से दिसंबर) में काटा जाता है।

सीधी रेखा में प्लास्टिक का आवरण बिछाना भी एक महत्वपूर्ण चरण है (खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ रोपाई के मौसम में मिट्टी का तापमान कम होता है)। कई उत्पादक पंक्तियों को काले प्लास्टिक से ढँक देते हैं। वो जड़ वाले क्षेत्र का तापमान उचित स्तर (21 °C या 69.8 ℉ से ऊपर) पर बनाये रखने के लिए साथ ही घासफूस उगने से बचने से लिए इस तकनीक का इस्तेमाल करते हैं।

अगर आप छोटी जगह में कई टमाटर के पौधे लगाना चाहते हैं तो ध्यान रखें कि पेशेवर उत्पादक पंक्ति में पौधों के बीच 0.3-0.6 मीटर (12-24 इंच) की औसत दूरी और पंक्तियों के बीच 0.8 से 1.3 मीटर (31.5-51.2 इंच) की दूरी रखते हुए एकल पंक्तियों में पौधे लगाना पसंद करते हैं। हालाँकि, बहुत ज्यादा पौधे लगाना सही सोच नहीं है। पौधों को दूरी पर लगाने से पौधों को अच्छी धूप, बेहतर वायु संचार मिलता है और कई बीमारियों से रक्षा होती है। इस प्रकार, हम देखते हैं कि ज्यादातर शौकिया बागवान जिन्हें जगह की समस्या नहीं होती, अपने पौधों को पंक्तियों के अंदर 1 मीटर (40 इंच) की दूरी पर लगाते हैं और पंक्तियों के बीच 1,5 मीटर (60 इंच) की दूरी रखते हैं।

अल्बामा के शौकिया किसान चार्ल्स विल्बर ने अपने चार टमाटर के पौधों की वजह से गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज़ करवाया है, क्योंकि उन्होंने अपने पौधों से 620 किलोग्राम (1366 पाउंड) टमाटर का उत्पादन किया था। जब उनसे इसका राज़ पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने किसी महँगी संकर किस्म का इस्तेमाल नहीं किया, न ही उन्होंने किसी विशेष खाद का प्रयोग किया। ऐसे उत्पादन के लिए अक्सर हाथ से टहनियों को तोड़ना बहुत ज़रूरी होता है। टमाटर की खेती में छंटाई बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन ये सभी किस्मों के लिए नहीं है। संक्षेप में, अनिश्चित किस्मों के लिए हमेशा छंटाई करनी पड़ती है, वहीं निश्चित किस्मों को ऐसे ही छोड़ा जा सकता है।

अनिश्चित किस्मों को एकल, दोहरे या तिहरे तने पर उगाने के लिए छांटा जाता है। छंटाई से उचित वायु संचार में मदद मिलती है और इस तरह पौधे को विभिन्न संक्रमणों से बचाया जा सकता है। इसके अलावा, इससे हमें पत्तियों की अपेक्षा ज्यादा फल मिलते हैं। छंटाई करते समय, पौधे को नुकसान पहुंचाने से बचने के लिए, छंटाई के सही उपकरणों का उपयोग करना बहुत महत्वपूर्ण है।

अनिश्चित टमाटर की किस्मों को डंडे से सहारा देने की आवश्यकता होती है। इसके लिए हर टमाटर के पौधे के पास एक डंडा लगाएं और तने को इस डंडे पर बाँध दें। यह तकनीक पतले टमाटर के ऊतकों को सीधा रखने में मदद करती है। साथ ही, यह तने के पत्तों और फलों को ज़मीन से स्पर्श होने से रोकती है और इस प्रकार, पौधे को मिट्टी के कीड़ों और बीमारियों से बचने में मदद मिलती है। इसके अलावा, सहारा देने से फलों की कटाई करना भी आसान हो जाता है और पौधे के वायु संचार और सामान्य स्वास्थ्य में सुधार होता है।

टमाटर के पौधों में आमतौर पर सूखे के लिए मध्यम से उच्च सहनशीलता होती है। दूसरी ओर, इसे बहुत ज्यादा गीली मिट्टी पसंद नहीं है। इसलिए, आपको बहुत ज्यादा सिंचाई से बचना चाहिए। हालाँकि, टमाटर को अक्सर पानी देने की ज़रूरत पड़ती है और विशेष रूप से फल लगने के दौरान। याद रखें कि 100 ग्राम टमाटर में 94 ग्राम से अधिक पानी होता है। बाहरी खेती के लिए, हर खेती के मौसम में टमाटर का औसतन पौधा 700 मिमी पानी लेता है। पौधे पर ज्यादा तनाव पड़ने से बचने के लिए अपने पौधों को स्थायी मात्रा में पानी देना न भूलें। इस बात का ध्यान रखें कि फल लगने के दौरान पानी न देने पर कई समस्याएं हो सकती हैं।

बगीचे में टमाटर उगाते समय, औसत मिट्टी में उगने वाले औसत टमाटर के पौधे के लिए आपको बस कम्पोस्ट डालने की ज़रूरत होती है। कम्पोस्ट डालना पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया है, जो घर पर लगाए जाने वाले पौधा को बहुत अच्छा पोषण दे सकती है, और इससे आपकी काफी बचत भी होती है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से पत्तियों, शाखाओं, छिलकों और खाने के अन्य अवशेषों (जैसे, अंडे के छिलके) जैसे जैविक अवशेषों, जो हमारी रसोई में मौजूद हो सकते हैं, को विभिन्न प्रक्रियाओं के माध्यम से और मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवों की मदद से कम्पोस्ट नामक पोषक तत्वों से भरपूर पदार्थ में बदला जाता है। कम्पोस्ट के उचित प्रयोग से मिट्टी का क्षय रोका जाता है। साथ ही, मिट्टी के रोगाणुओं को नियंत्रित किया जाता है। हालाँकि, हमें सावधानी रखने की भी ज़रूरत होती है, क्योंकि कम्पोस्ट बनाने के लिए घर से निकलने वाले सभी खाने के अवशेष सही नहीं होते। इसकी प्रक्रिया काफी सरल है। आपको बस एक कम्पोस्ट बिन या साइलो, श्रेडेर, मिट्टी और जैविक कचरे की ज़रूरत होती है। श्रेडर बहुत ज़रूरी है क्योंकि यह इस प्रक्रिया को तेज कर देता है, और कम्पोस्टिंग बिन में डाली जाने वाली चीजें छोटी होनी चाहिए।

ज्यादातर टमाटर रोपाई के सात से दस हफ्ते में बड़े हो जाते हैं और कटाई के लिए तैयार होते हैं। अगर सभी चीजें अच्छे से होती हैं, तो आप प्रति सप्ताह 2-3 बार टमाटर की कटाई कर सकते हैं। एक बार फिर, हमारे द्वारा प्रयोग किये जाने वाले छंटाई के उपकरण और दस्ताने बहुत उच्च गुणवत्ता वाले होने चाहिए और उनके लिए सभी आवश्यक प्रमाणपत्र मौजूद होने चाहिए।

बगीचे में खेती करते समय अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा बहुत ज़रूरी होती है। यह काफी हानिरहित शौक लग सकता है, लेकिन इसमें ऐसे जोखिम मौजूद होते हैं जिनके बारे में उत्पादक सोच भी नहीं सकता। अच्छी गुणवत्ता वाले बूट बहुत ज़रूरी होती हैं। खासकर गर्मियों में, जब टमाटर बड़ा हो जाता है और इसे हर दिन कटाई के लिए जांचने की ज़रूरत होती है तब बगीचे में अक्सर सांप या चूहे जैसे अनचाहे जानवर आ सकते हैं। बगीचे में एक गलत कदम आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए अपने पैरों को खतरे से बचाना बहुत ज़रूरी है।

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